यह समय हर माता-पिता और परिवार के लिए गर्व और ख़ुशी का होता है और यही वो समय है जिस पर परिवार का भविष्य टिका होता है| आज जितना माता पिता से हो सकता है उतनी ही सावधानी से बच्चे का गर्भ में ध्यान रखा जाता है और बल्कि ज्यादा ही| फिर भी बहुत परेशानियाआ जाती है जैसे जन्म के समय पानी कम होना, ऑपरेशन बच्चे का स्वाश्थ ठीक न होना, माँ या बच्चे की कमजोरी जैसी समस्याएँ|
इन्ही समस्याओं को आयुर्वेद ने बहुत सरल तरीके से इस समय को 3 भागों में बांटा है| इस पर हजारों परिक्षण भी हो चुके है|
4 महीने – 4 महीने और 1 महिना
पहले 4 महीने बच्चे के मस्तिष्क का विकास, अगले 4 महीने अंग और शरीर का विकास और अगले १ महीने में जन्म लेने के लिए शरीर का तैयार होना| बच्चे और माँ दोनों का|
पहले 4 महीने फल घृत, 5 से 8 वे महीने फल घृत और 9 वे महीने में कोल्हू से निकला हुआ शुद्ध सरसों का तेल|
मात्रा:- 1 चम्मच रोजाना पानी या दूध में|
ये घी आप ऑनलाइन जानकारी लेकर किसी भी अच्छी कंपनी का ले सकते है|
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अन्य फायदे:- यह गर्भधारण के लिए प्रयास करने से पहले युगल को दिया जाता है। यह सफल गर्भाधान में मदद करता है और भ्रूण में इंटेलिजेंस और प्रतिरक्षा में सुधार करता है। यह स्थिर गर्भधारण करने में मदद करने के लिए आदतन गर्भपात वाली महिलाओं को दिया जाता है। यह सभी प्रकार की स्त्रीरोग संबंधी शिकायतों, अंडाशय में दोष और पुरुष प्रजनन प्रणाली को राहत देने में सहायक है।
बच्चा कमजोर या गर्भ में बच्चे का कम हिलना या न हिलने पर, गर्भाशय कमजोर व् बहार आने की समस्या होने पर इस घृत का प्रयोग जरूर करना चाहिए|