अश्वगन्धादि चूर्ण घटक:-
असगन्ध और विधारा|
मात्रा और अनुपान:- 3 से 4 ग्रा ( 1 चम्मच ) सुबह-शाम दूध या जल के साथ दें।
विशेष:- कम से कम 45 दिन प्रयोग करें|
परहेज:- परहेज:- खट्टे पदार्थ|
गुण और उपयोग:- इस चूर्ण के सेवन से वीर्यविकार, शुक्रक्षय, वीर्य का पतलापन, शिथिलता, शीघ्रपतन, प्रमेह आदि विकार नष्ट होकर वीर्य गाढ़ा और निर्दोष बनता है। इस चूर्ण का सबसे उत्तम प्रभाव वीर्यवाहिनी नाड़ियों, वातवाहिनी नाड़ियों और मस्तिष्क तथा हृदय पर होता है, जिसके कारण यह चूर्ण मस्तिष्क को परिपुष्ट करता है। अनिद्रा, हृदय की कमजोरी एवं धड़कन को नष्ट करता है। यह चूर्ण उत्तम शक्तिवर्धक तथा बाजीकरण है| शरीर को हृष्ट-पुष्ट बनाकर शरीर के वजन को बढ़ाता है।
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