Gokshuradi Churna
गोक्षुरादि चूर्ण घटक:-
गोखरू, तालमखाना, लाल शतावर, कोंच के बीज, नागबला और अतिबला|
मात्रा और अनुपात:- 2 ग्रा ( आधा चम्मच ) सुबह-शाम अथवा रात को सोते समय दूध अथवा पानी के साथ|
गुण और उपयोग:- यह चूर्ण बल-वीर्य वर्धक और कामोत्तेजक है। शुक्र की निर्बलता से स्त्री-प्रसङ्ग के समय शुक्र-क्षरण बहुत शीघ्र हो जाने पर स्त्री-पुरूष वास्तविक आनन्द से वंचित रह जाते हैं। इसके लिये कई विषाकत दबाओं का भी कभी-कभी लोग उपयोग कर बैठते हैं, जिससे नुकसान के सिवा लाभ कुछ नहीं होता। यह पूर्ण निर्विष होते हुए रोग को जड़ से नष्ट कर वास्तविक आनन्द देने के लिए अभूतपूर्व है। रात को सम्भोग से एक घंटा पहले धागा मिश्री मिले हुए गर्म दूध के साथ सेवन करने से अपूर्व बाजीकरण होता है। साथ ही वीर्य का पतलापन दूर होकर बीर्य गाढ़ा हो जाता है। लगातार कुछ दिनों तक इस चूर्ण के सेवन से फिर यह रोग समूल नष्ट हो जाता है।
विशेष:- कम से कम 45 दिन प्रयोग करे|
परहेज:- गर्मी करने वाले पदार्थ और गरिष्ठ भोजन|
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