निम्बादि चूर्ण:- नीम की छाल, गुर्च (गिलोय), और, आँवला और सोमराजी, सोंठ, वायविडंग, पवाड (चक्रमर्द-चकवड़), पीपल, अजवायन, बच, जीरा, कुटकी, खैरसार, सेंधा नमक, यवक्षार, हल्दी, दारुहल्दी, नागरमोथा, देवदारु और कूठ|
मात्रा और अनुपान:- 2 से 3 ग्रा ( आधा चम्मच ) सुबह-शाम गिलोय के क्वाथ के साथ अथवा ठण्डे जल से दें।
परहेज:- खट्टा, मीठा,नमकीन और दूध या दूध से बना कोई भी पदार्थ|
गुण और उपयोग:- इस चूर्ण के सेवन से भयंकर
वातरक्त, सफेद कोढ़, कुष्ठ, खुजली, चर्म रोग, दाद, शरीर पर लाल चट्टे पड़ जाना, आमवात-जन्य शोथ-उदर रोग, पाण्डु, कामला, गुल्म और फोड़ा-फुन्सी आदि रक्त-विकार नष्ट होते हैं। यह चूर्ण वात और रक्त-शोधक तथा कब्जियत को दूर करने वाला है। रक्त बिहार में इसका उपयोग अधिक किया जाता है। प्रकुपित वायु रक्त को दूषित कर शरीर में अनेक तरह के रोग उत्पन्न कर देती है। इसमें शरीर रूक्ष हो जाता, त्वचा फटने लगती, शरीर में लाल-लाल चकत्ते भी उठ आते, छोटी-बड़ी फुन्सियाँ भी निकल आती है। ऐसी हालत में इस चूर्ण के उपयोग से बहुत शीघ्र लाभ होता है।
NEHA SHARMA (verified owner) –
It really helped clear out my skin and reduce body heat. Tastes bitter but totally worth it.
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