शतावर्यादि चूर्ण घटक:-
लाल शतावर, असगन्ध, कौंच के बीज (छिलका रहित), सफेद मूसली, गोखरू के बीज|
मात्रा और अनुपान:- 3 से 4 ग्रा ( 1 चम्मच ) रात को सोने से एक घंटा पूर्व व प्रातःकाल खांड, गुड या धागा मिश्री मिश्रित गो-दुग्ध के साथ।
गुण और उपयोग:- इस चूर्ण के सेवन से रस-रक्तादि सप्तधातुओं ( सात धातुओं के नाम–1- रस, 2- रक्त, 3- मांस , 4- मेद, 5- अस्थि, 6- मज्जा, 7- शुक्र ) की क्रमशः वृद्धि हो जाती है।यह चूर्ण पौष्टिक, श्रेष्ठ बाजीकरण और उत्तम वीर्यवर्द्धक है। इसके सेवन काल में ब्रह्मचर्य से रहने से शरीर में बल और पौरुष शक्ति की वृद्धि होती है और निर्दोष वीय का निर्माण होता है। समस्त प्रकार के विर्य-सम्बन्धी विकार जैसे-वीर्य का पतला पन, शीघ्रपतन, शुक्रवाहिनीं नाड़ियों की शिथिलता आदि नष्ट होते हैं ।
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